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कभी हम खो गये.............

कभी हम खो गये कभी तुम खो गये। दासतां कहते सुनते ही हम सो गये। नील नभ को सजाया तुम्हारे लिये , इंद्रधनु माँग लाया तुम्हारे लिये , भूल जाओ तिमिर में न तुम राह को नेह दीपक जलाया तुम्हारे लिये , रोशनी में मगर तुम तो गुम हो गये। कभी...... मैंने देखा है सूरज निकलते हुये शाम कि वक्त चुपचाप ढलते हुये , रूप का गर्व है आपको किसलिये क्या न देखा कभी हिम पिघलते हुये , फूल की चाह थी शूल क्यों बो गये। कभी...... मैंने देखे हैं पत्थर पिघलते हुये शीत जल में से शोले निकलते हुये , तुम न बदलोगी ये कैसे विश्वास हो क्या न देखा कभी हिम पिघलते हुये , सिसकियाँ तुमने लीं और हम रो गये। कभी......