गीत
यादों को मैं रख लेता हूँ....... फूलों को तुम लेते जाओ, काँटों को मैं रख लेता हूँ। मेरी मुस्कानें तुम रख लो अश्कों को मैं रख लेता हूँ। कितना अच्छा लगता था तब जब मौसम था साथ हमारे, मेहंदी की खुशबू में बस कर रंग देते थे हाथ तुम्हारे वो अहसास तुम्ही ले जाओ यादों को मैं रख लेता हूँ...... आसमान के चंदा तारे सब हैं अब तो सखा हमारे, मेरे संग विरह में जलते जुगनू भटका करते सारे, नींदे तुमको सौंप चूका हूँ सपनों को मैं रख लेता हूँ..... अंदर तो एक सन्नाटा है बाहर है गुमसुम सा उपवन, थोथा थोथा सा लगता है अब तो हुआ निरर्थक जीवन, शब्दों की माला तुम पहनो अर्थो को मैं रख लेता हूँ.....