Posts

Showing posts from December, 2016

नववर्ष की आशा का गीत

गुनगुनाकर कह रहीं हमसे हवाएं आओ मेरे साथ सपनों को सजायें वर्ष भर जो शूल से चुभते रहे हैं आओ उनको फूल का उपहार दे दें, जिस कली ने ज़िन्दगी को खुशबुएँ दीं हम सुगंधि का उसे आभार दे दें, क्यों न उसके फूल गमलों में लगाएं आओ मेरे साथ सपनों को सजायें।... जिस नदी के जल को उसने छू लिया है वो मुझे गंगा सी पावन लग रही है, मेरे आँचल में सभी त्यौहार होंगे एक आशा की किरण भी जग रही है, हाथ में ले हाथ सारे ग़म भुलाएं। आओ मेरे साथ सपनों को सजायें.... नित शिखर छू लें नए आयाम के हम दूर होने की न सोचें पर धरा से, जिसने हमको कर दिया इतना बड़ा है आज भी उनके लिए हों हम ज़रा से, सोच के अपने फलक को हम बढ़ाएं आओ मेरे साथ सपनों को सजायें...