सब कान्हा की बांसुरियां हैं....
कैसे आएं खुली सड़क पर तंग बहुत ब्रज की गलियां हैं। जोग सिखाये कैसे ऊधौ सब कान्हा की बांसुरियां हैं। तम ही तम पसरा है चारों ओर ये कैसी पूनम आयी, अंतर्तम हो गया प्रकाशित मावस ने जब लोरी गायी, ये कैसा पंचांग है जिसमे उलटी पलटी सब तिथियां हैं। जोग..... बाहर भीतर उमस बहुत है क्या होगा खिड़की खुलने से, ना ये गंध सुगंध बनेगी एक अगरबत्ती जलने से, कैसे खिलकर महक बिखेरें उत्सुक सी सारी कलियां हैं। जोग...... सब कुछ विधि विधान है जग में कुछ भी अपने हाथ नहीं है, जिसको हम अपना समझे हैं वो भी अपने साथ नहीं है, कुछ भी इधर उधर ना होता सब निर्धारित गतिविधियाँ हैं। जोग.... पहले तो थक कर अपने प्रिय की बाहों में सो लेते थे, जब जब मन भारी होता था लिपट लिपट के रो लेते थे, ना अब आँसू ना ही सपने सूखी सूखी सी अँखियाँ हैं। जोग..... #vishnusaxena